उत्तराखंड के चारों धाम में से 3 के कपाट खुल चुके हैं। बाकी बचे भगवान बद्री विशाल के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ 8 मई को खुल गए।
आदिगुरु शंकराचार्य ने बद्रीनाथ की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कपाट खोलने से लेकर पूजन की जो व्यवस्था बनाई थी।
धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि धाम के मुख्य रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी हैं।
वे केरल के नंबूदरी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं और आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं।
उन्होंने ही शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 बजे भगवान बद्रीनाथ के कपाट खोले। उनके अलावा कोई भी भगवान की मूर्ति को स्पर्श नहीं कर सकता है।
बद्रीनाथ धाम तीन चाबियों से खुलता है, ये तीनों चाबियां अलग-अलग लोगों के पास होती हैं।
एक चाबी टिहरी राज परिवार के कुल पुरोहित के पास है, जो नौटियाल परिवार से आते हैं।
दूसरी बद्रीनाथ धाम के हक हकूक धारी में शामिल मेहता लोगों के पास है।
तीसरी हक हकूकधारी भंडारी लोगों के पास होती है। तीनों चाबियों को लगाकर बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।